हमारे एक कारोबारी मित्र ने एक दिन बातचीत के दौरान बताया कि रुपये कमाना कोई बहुत मुश्किल वाला काम नहीं है। मजदूरी करके भी पैसे कमाए जा सकते है लेकिन लेकिन योग्यता इसमें है कि उन पैसों को खर्च कैसे किया जाये। खर्च इस तरह भी किया जा सकता है कि उसी से कमायी भी होती रहे। देश की अर्थव्यवस्था के साथ भी यह नियम लागू होता है। कोरोना महामारी के चलते अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज देकर आर्थिक समीकरण सुधारने का प्रयास किया है। दूसरी तरफ आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने अपनी पुस्तक में बताया है कि पैसे कैसे खर्च किये जाने चाहिए। इस क्रम में उन्होंने बीते समय हुई कुछ गलतियों की तरफ भी इशारा किया है।
केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज और हाउसिंग फाइनेंस कंपनीज के लिए खास योजना लागू कर रही है। ये 30,000 करोड़ रुपये वाली स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम जुलाई 2020 से लागू की जा रही है। ये स्कीम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 13 मई को घोषित किए गए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की अगली कड़ी है। केंद्र सरकार ने बताया कि 23 जुलाई 2020 तक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज और हाउसिंग फाइनेंस कंपनीज से जुड़े 3,090 करोड़ मूल्य के पांच प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। सरकार के मुताबिक, योजना को लेकर काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।अब तक मंजूर किए जा चुके प्रस्तावों के अलावा सरकार को 13,776 करोड रुपये के और प्रस्ताव मिले हैं। ये प्रस्ताव 35 आवेदकों की ओर से प्राप्त हुए हैं। इन प्रस्तावों पर सरकार विचार कर जल्द फैसला लेगी। अच्छा होगा कि सरकार का अनुमान सही साबित हो लेकिन आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने अपनी किताब ओवरड्राफ्ट सेविंग द इन्डियन सेवर में जो खुलासे किए हैं, उनपर भी गौर करना उचित होगा।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने अपनी किताब में पीयूष गोयल के साथ मतभेद होने का संकेत भी दिया है। उन्होंने बिना नाम लिए ही इशारों-इशारों में अपनी नाराजगी जाहिर की है। पटेल ने फाइनेंशियल सिस्टम में दिक्कतों के लिए सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि तत्कालीन वित्त मंत्री के साथ उनका मतभेद दिवालिया मामलों को लेकर सरकार के फैसलों से शुरू हुआ, जिनमें काफी नरमी थी। उर्जित पटेल ने ये बात अपनी नई किताब ओवरड्राफ्ट कृ सेविंग द सेवर में लिखी है, जिसमें उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिखा, लेकिन 2018 के मध्य के जिस वक्त की बात वह कर रहे हैं, वह वो दौर था जब पीयूष गोयल को कुछ वक्त के लिए वित्त मंत्री का कार्यभार सौंपा गया था। ये वक्त था मई 2018 से लेकर अगस्त 2018 के बीच का। पटेल ने अपनी किताब में लिखा है कि 2018 के मध्य में दिवालिया मामलों के लिए नरमी वाले फैसले लिए गए, जब अधिकतर कामों के लिए वित्त मंत्री और उर्जित पटेल मामलों से जुड़ी बातों को लेकर एक ही लेवल पर थे। मई 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली दिवालिया कानून का नेतृत्व कर रहे थे, लेकिन बीमारी की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्री का कार्यभार सौंप दिया गया। 2018 में पीयूष गोयल ने मीडिया से बात करते हुए सर्कुलर में नरमी लाने की बात कही और बोले कि किसी भी लोन को 90 दिनों के बाद एनपीए नहीं कहा जा सकता।उर्जित पटेल ने अपने पद से 8 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। उनकी किताब में कहीं थी भारतीय रिजर्व बैंक और इसके बोर्ड या वित्त मंत्रालय के बीच के रिश्तों को लेकर कोई बात नहीं कही गई है। वहीं 2016 में उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान लागू की गई नोटबंदी का भी किताब में कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है। उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान करीब 10 लाख करोड़ रुपये के बैड लोन की रिकवरी की गई। पटेल ने अपनी किताब में लिखा है कि लगातार निगरानी होती रहनी चाहिए । उर्जित पटेल ने अपनी किताब में आरबीआई के स्वामित्व में सरकार की प्रधानता और निर्देशों के आधार पर कर्ज देने को फाइनेंशियल सेक्टर की दिक्कतों में गिनाया है। उन्होंने सरकार और पब्लिक सेक्टर बैंकों के बीच के फासले को कम करने पर भी चेताया है और कहा है कि इससे सरकार का कर्ज और बढ़ सकता है। उन्होंने रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को बेल आउट करने के लिए सरकार की ओर से शुरू किए गए एसबीआई एलआईसी फंड को लाने पर भी चिंता जताई और कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मुद्रा क्रेडिट स्कीम ला देना पैसे ट्रांसफर करने जैसा ही है। बता दें कि वह एलआईसी द्वारा आईडीबीआई बैंक के खरीदे जाने के खिलाफ थे, जिसकी घोषणा अगस्त 2018 में की गई थी।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने आशंका जताई है कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के चलते बैड लोन यानी एनपीए 20 सालों के उच्चतम स्तर तक पहुंच सकता है। बैड लोन मार्च 2020 में 8.5 फीसदी से मार्च 2021 तक 12.5 फीसदी तक पहुंच सकता है। आरबीआई के अनुसार अगर हालात ज्यादा खराब हुए तो इसके 14.7 फीसदी के स्तर पर भी पहुंचने की आशंका है। रिजर्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में ये आशंका जताई है। केंद्रीय बैंक ने लोन रीस्ट्रक्चर करने की ओर भी इशारा किया है।भारतीय रिजर्व बैंक ने चेताया है कि बैड लोन यानी एनपीए कोरोना वायरस महामारी की वजह से 20 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि तत्कालीन वित्त मंत्री के साथ उनका मतभेद दिवालिया मामलों को लेकर सरकार के फैसलों से शुरू हुआ, जिनमें काफी नरमी थी।
सरकार के मुताबिक, स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम एनबीएफसी और एचएफसी की माली हालत दुरुस्त रखने के लिए पेश की गई है। इसके तहत फाइनेंशियल सेक्टर को किसी भी बड़े जोखिम से बचाना है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन के दौरान 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था। इसके बाद निर्मला सीतारमण ने बताया था कि पैकेज के तहत हर स्तर पर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में
सरकारी बैंक पीएनबी ने अपने ट्विटर पर ट्विट करके बताया है कि मार्च तिमाही के लिए टीडीएस सर्टिफिकेट (फार्म 16ए) शाखाओं में उपलब्ध है।सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए ग्राहकों को पंजाब नेशनल बैंक की निकटतम शाखा से संपर्क करना होगा। इसके अलावा, बैंक ने ग्राहकों के पास रजिस्टर्ड ई-मेल पर भी टीडीएस स (फार्म 16ए) भेज दिया है। आपको बता दें कि फॉर्म 16 ए आपको तब जारी किया जाएगा जब किसी बैंक ने आपकी ब्याज आय पर टीडीएस कटौती की हो, बीमा आयोग द्वारा टीडीएस कटौती की गई हो या फिर आपके किराए की रसीदों पर टीडीएस कटौती की हो।जब किसी फाइनेंशियल ईयर में एफडी पर ब्याज से होने वाली आमदनी एक निश्चित सीमा को पार कर जाती है तो बैंकों को टीडीएस (स्रोत पर कर में कटौती) करना अनिवार्य होता है। इसीलिए जमाकर्ता को फॉर्म 15जी या फॉर्म 15एच (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) यह बताने के लिए स्व-घोषणा पत्र देता होता हैं और उसमें बताना होता है कि उनकी आय टैक्स योग्य सीमा से कम है। खाता धारकों द्वारा फॉर्म 15जी और फॉर्म 15एच (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) यह सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है कि उनकी आय पर टीडीएस नहीं काटा जाता है। फॉर्म 15जी या 15एच जमा कर आप ब्याज या किराये जैसी आमदनी पर टीडीएस से बच सकते हैं। इन फॉर्म को बैंक, कॉरपोरेट बॉन्ड जारी करने वाली कंपनियों, पोस्ट ऑफिस को देना पड़ता है। इस तरह के कुछ अन्य प्रयास सरकार कर रही है। -अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा
खजाना भरने और बचाने का समय